रविवार, 13 सितंबर 2009

"क्षमा" मन के माधुर्य का लालीपॉप है और आत्मा के आनन्द का कलाकन्द । उसे देनेवाला भीष्म की तरह धन्य हो जाता है ,तो पाने वाला विदुर की तरह क्रतार्थ । वैसे तो इस धरती पर 'मिट्टी के रंग' हजारों है , लेकिन बेमेल होते हुए भी उनमें आपसी वैसे ही अनमोल रिश्ते है जैसे आपके हमारे रिश्ते। फिर भी इस कलयुग में जाने अनजाने में पिछ्ले इस जीवन रुपी उपन्यास में मेरे द्वारा प्रत्यक्ष -परोक्ष रुप से 'चाणक्य , मंथरा, नारद, कैकयी , रुपी कोई रोल अदा होने के कारण आपके कोमल कर अपनी ही म्रिगनयनी ऑखो के ऑसुओ से भर गये हो , जिससे आपके सर्फ धुले कोमल ह्रदय या हमारे अनमोल रिश्ते मे कोई मालिन्य पैदा हुआ हो तो अपने मशाल रुपी दिव्य ह्रदय का मलिन्य सर्फअल्ट्रा से साफ कर आपसे पुन: क्षमा का सेक्रीन जैसा माधुर्य पाना चाहता हूं । अत: मक्खन रुपी फेविकोल से ह्रदय जोडते हुए - मैत्रीसूत्र आपके हमारे सुद्र्ढ हो प्रेम प्रवाहित हो .................! मन -वचन- काया से क्षमाप्रार्थी (राजाभाई कौशिक)

2 टिप्‍पणियां:

  1. "क्षमा" मन के माधुर्य का लालीपॉप है और आत्मा के आनन्द का कलाकन्द । उसे देनेवाला भीष्म की तरह धन्य हो जाता है ,तो पाने वाला विदुर की तरह क्रतार्थ
    WAH! RAJA BHAI WAH! KAVI JAB GADHY MEIN UTRTA HAI TO YAHI HOTA HAI BAHUT SUNDAR BAHUT HI SUNDAR!
    BAAT YE HAI RAJA BHI RACHNA AUR KAVITA MEIN EK ANTAR HAI

    KAVITA DIL SE FOOTTI HAI
    RACHNA DIMAG SE

    RACHNAYEIN DERON PADI PAR KAVITA TO BAS KABHI KABHI
    YE UPAR KSHMA WALI PANKTI VISHUDH KAVITA HAI

    IS RASIK SHYAM PAR AAPKI NAZRE INNAYAT NAHIN HUI ... AAPKI US TAPT TAWE WALI NE TO HAMARA SARA DEEWAN HI LOOT LIYA HAI ... "AUR LO NA "

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  2. RAJA BHAI TANG KARNE KE LIYE KSHMAGHANI
    AAPKI YE DAIRY BANTI HAI KEWAL UPAR KI DO PANKTIYON KE SATH
    "क्षमा" मन के माधुर्य का लालीपॉप है और आत्मा के आनन्द का कलाकन्द । उसे देनेवाला भीष्म की तरह धन्य हो जाता है ,तो पाने वाला विदुर की तरह क्रतार्थ ..BUS ISKE BAD KUCHH BHI NAHIN JODNE KA ..SHESH JO LIKHNA HAI ALAG SE

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