रविवार, 13 सितंबर 2009

पिया मिलन की आश !
सपनों के दीये जला
जिन्दगी रोशन किये हूँ।
तन्हा विरानियों को
आबाद यादों के सहारे
छोड क्या गये?
मानो युग बीत गये सारे
दिल तो यहि पुकारे
आ....रे आरे आजारे
जीवन उदास भी
हृदय में आश भी
मन में प्यास भी
खण्डित श्वास भी
फिर भी
साँसो की कडियाँ जोडे हुये हूँ ।

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